त्याग किसे कहते हैं।

त्याग किसे कहते हैं।  

चले पूछने आज धरा से, बोलो त्याग किसे कहते हैं।
जिसने जीवन सौंप दिया, उससे अनुराग किसे कहते हैं।।
पग-पग जिसने गीत लिखे हैं, जीवन के सुर अरु वाणी से।
जिसने स्वर को जन्म दिया है, कहते राग किसे कहते हैं।।

जिसके छूने भर से माटी पल में सोना हो जाता है
जिसका आँचल मिल जाने से दुनिया का सब सुख आता है
जिसकी एक झलक पड़ते ही खुद कष्ट सभी मिट जाते हैं
जिसकी एक छुअन अंतर्मन के कष्ट सभी हर जाता है
दुख में जिसने सुख को पाला, सुख का राग किसे कहते हैं
चले पूछने आज धरा से, बोलो त्याग किसे कहते हैं।।

पग-पग जिसने गीत लिखे हैं, जीवन के सुर अरु वाणी से।
जिसने स्वर को जन्म दिया है, कहते राग किसे कहते हैं।।


जिसे नेह से नैन निहारा उसका ही सम्मान हो गया
जिसकी नजर उतारी पल-पल पूरण सारा काम हो गया
गीले बिस्तर में भी जिसको सुख का सब अहसास मिला है
उँगली जो भी पकड़ चला है वो जीवन में राम हो गया
अंगारों पर चली उम्र जो उससे दाग किसे कहते हैं
चले पूछने आज धरा से, बोलो त्याग किसे कहते हैं।।

पग-पग जिसने गीत लिखे हैं, जीवन के सुर अरु वाणी से।
जिसने स्वर को जन्म दिया है, कहते राग किसे कहते हैं।।


जिसने नभ सा प्रेम जताया दूर खड़ा हो दिया सहारा
जिसने प्रस्तर काट-काट कर सपनों का है पंथ बुहारा
जिसकी स्वेद बूँद जीवन के काँटों में पुष्प खिलाती है
जिसने भाव छुपा कर सारे ओट खड़ा हो पंथ निहारा
जिसकी उबटन स्वेद बूँद उससे तनुराग किसे कहते हैं
हो चले पूछने आज धरा से, बोलो त्याग किसे कहते हैं।।

पग-पग जिसने गीत लिखे हैं, जीवन के सुर अरु वाणी से।
जिसने स्वर को जन्म दिया है, कहते राग किसे कहते हैं।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        06फरवरी, 2023

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें

 प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...