जाना है क्या ये जीवन।
प्रभु आसरा मिला जब जाना है क्या ये जीवन।।
भटका हुआ था जीवन खोई हुई थी राहें
क्या जाने किस गली में खोई हुई थी चाहें
आशीष जब मिला तो पाया है मैंने जीवन
प्रभु आसरा मिला जब जाना है क्या ये जीवन।।
अपना क्या जगत में जो मिला है सब तुम्हारा
अनजाने रास्तों पे है बस आपका सहारा
बस आपकी कृपा से पाया है मन का मधुवन
प्रभु आसरा मिला जब जाना है क्या ये जीवन।।
प्रभु पंथ भी तुम्हीं हो औ तुम ही हो ठिकाना
भूलूँ मैं राह जब भी तू ही रास्ता दिखाना
प्रभु आपकी कृपा से महका है मन का उपवन
प्रभु आसरा मिला जब जाना है क्या ये जीवन।।
झूठा जगत है सारा बस एक तू ही सच्चा
नादान हूँ अभी मैं क्या जानूँ क्या है अच्छा
आशीष पाया जब से अंतस हुआ ये पावन
प्रभु आसरा मिला जब जाना है क्या ये जीवन।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
26जनवरी, 2023
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