साज दिल के।।

साज दिल के।  

चली कैसी ये पवन 
आज तुझसे मिल के
कि बजने लगे हैं
सभी साज दिल के।।

नहीं जोर अब तो
दिल पर है कोई
जागने लगीं अब
रातें जो सोईं
नया पाया जीवन
तुझसे ही मिल के
कि बजने लगे हैं
सभी साज दिल के।।

नये ख्वाब आंखों में
अब आने लगे हैं
खोई थी राहें जो
हम पाने लगे हैं
नए गीत अधरों पे
सजे तुमसे मिल के
कि बजने लगे हैं
सभी साज दिल के।।

यही दिल की चाहत
कि कोई जनम हो
तुमसे शुरू हो औ
तुम पर खतम हो
सजा दिल का उपवन
मेरा तुमसे मिल के
कि बजने लगे हैं
सभी साज दिल के।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        24जनवरी, 2023

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