आहों के कुछ चिन्ह बचे हैं यादों में मेरे रहने दो।।
अपने हिस्से की खुशियाँ सब तेरी झोली में देता हूँ
कितना कुछ पाया है तुमसे उसको हँसकर के सहने दो
आहों के कुछ चिन्ह बचे हैं यादों में मेरे रहने दो।।
धूप-छाँव में इस जीवन के माना तुमने सबकुछ पाया
पर तुमको मालूम नहीं है तुमने कितना कुछ ठुकराया
मुझमें जो अवशेष बचे हैं उसको मुझको ही सहने दो
आहों के कुछ चिन्ह बचे हैं यादों में मेरे रहने दो।।
तुमको क्या जब भी चाहोगी नए बहाने मिल जाएंगे
जिस पथ तेरे कदम पड़ेंगे नए ठिकाने मिल जाएंगे
माना तेज बहुत है धारा लहरों में मुझको बहने दो
आहों के कुछ चिन्ह बचे हैं यादों में मेरे रहने दो।।
तुमसे कुछ भी प्रश्न करूँ मैं आहों को स्वीकार नहीं है
कैसे तेरा नाम पुकारूँ अधरों को अधिकार नहीं है
साँसों में कुछ ताप बसे हैं उनको साँसों में बसने दो
आहों के कुछ चिन्ह बचे हैं यादों में मेरे रहने दो।।
कागज पर अब कलम चला कर अंतरतम को रीत रहा हूँ
जब से तुमसे दूर हुआ हूँ खुद से लड़ना सीख रहा हूँ
जीता जो पल पास नहीं है हार गया जो पल सहने दो
आहों के कुछ चिन्ह बचे हैं यादों में मेरे रहने दो।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
07अक्टूबर, 2022
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