लग रहा नैन तेरे राह मेरी जोहते हैं।।
लग रहा नैन तेरे राह मेरी जोहते हैं।।
दूर तक आया सफर में पर अकेला कब रहा
राह की दुश्वारियों को मैं अकेला कब सहा
जब भी भटका राह में मुझे नई राहें मिली
लग रहा नैन तेरे राह मेरी जोहते हैं।।
राह की ठोकरों ने राह है नूतन दिखाई
और रातों में मुझे भोर की सूरत दिखाई
थी अँधेरी रात जब भी दीप बन कर के जली
लग रहा नैन तेरे राह मेरी जोहते हैं।।
सिलवटों पर माथ के हैं लिखी कितनी कहानी
वक्त के कुछ घाव की चुभ रही अब भी निशानी
घाव के अहसास में पर जिंदगी पल-पल पली
लग रहा नैन तेरे राह मेरी जोहते हैं।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
29सितंबर, 2022
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