और नहीं बस इतना करना।

और नहीं बस इतना करना।

नहीं चाहता तुमसे अब कुछ 
और नहीं कुछ तुमसे कहना
मुझ सह चलने का वादा दो
और नहीं बस इतना करना।।

जो तुम मेरे साथ कहोगे
मेरे गीत निखर जायेंगे
अधरों से यदि दूर हुए तो
मेरे गीत बिखर जायेंगे
यदि चाहो मैं गीत सुनाऊँ
मेरे शब्दों में तुम बसना
मुझ सह चलने का वादा दो
और नहीं बस इतना करना।।

पथ पथ में अरु पग पग में
कैसे कैसे लोग मिलेंगे
लोगों की परवाह किसे जब
हम तुम दोनों साथ चलेंगे
जो तुम चाहो सफर सुहाना
मेरे संग संग तुम चलना
मुझ सह चलने का वादा दो
और नहीं बस इतना करना।।

यदि कहते हो गाता जाऊँ
मिटकर भी मैं गीत सुनाऊँ
जलूँ रात भर दीपक जैसा
जलकर सबको राह दिखाऊँ
मेरे मिटने तक तुम यूँ ही
मेरी बाँह पकड़ कर चलना
मुझ सह चलने का वादा दो
और नहीं बस इतना करना।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        19जुलाई, 2021

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