तुम चाहो तो बोलो।

तुम चाहो तो बोलो।   

आज सुनूँगा व्यथा तुम्हारी
जो तुम चाहो तो बोलो।।

तुमने अपने मन के भीतर 
जितने भाव छुपाए है
बूँद बने पलकों तक आकर
अंतरतम बहलाये हैं
भाव छुपाए अंतस में जो
तुम यदि चाहो तो खोलो
आज सुनूँगा व्यथा तुम्हारी
जो तुम चाहो तो बोलो।।

बहुत छुपाया तुमने मन को
इतना कौन छुपा पाया
बहुत दबाया है भावों को
इतना कौन दबा पाया
आज मिलूँगा मैं भावों से
यदि तुम चाहो तो खोलो
आज सुनूँगा व्यथा तुम्हारी
जो तुम चाहो तो बोलो।।

तुमने सबकी सुनी बहुत थी
लेकिन अपनी कह ना पाए
सबका घाव हमेशा देखा
पर अपना दर्द रहे छुपाए
आज तुम्हारा दर्द सहूँगा
यदि तुम चाहो तो खोलो
आज सुनूँगा व्यथा तुम्हारी
जो तुम चाहो तो बोलो।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        23जून, 2021

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