चलो फिर गीत हम गायें।
पुराना गीत दोहराएँ
मिलें फिर से अकेले में
वही फिर गीत हम गायें।
है तुमको याद क्या अब भी
मुलाकातों की वो बातें
नहीं भूले अभी तक हमने
गुजारी कैसी वो रातें
जलाए दीप जो उस रात
वही फिर दीप हम लाएं
मिलें फिर से अकेले में
वही फिर गीत हम गायें।।
वही नदिया की लहरें हों
वही फिर से किनारा हो
मिलें जब फिर से हम दोनों
वही दिलकश नजारा हो
नजारों के इशारों में
चलो फिर डूब हम जाएं
मिलें फिर से अकेले में
वही फिर गीत हम गायें।।
माना दिन ये गुजरा है
मगर ये रात अपनी है
जो बातें सदियों ने भूली
उन्हें लम्हों में कहनी है
मिलें फिर से वहीं हम तुम
औ जग को भूल हम जाएं
मिलें फिर से अकेले में
वही फिर गीत हम गायें।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
23जून, 2021
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