राह चलो धीरे धीरे।
कदम तले आकाश मिला
उम्मीदों की गठरी थामे
राह चलो धीरे धीरे।।
ऊबड़ खाबड़ रस्ते सारे
बढ़ने से कटते सारे
परे हटा सब अवरोधों को
राह चलो धीरे धीरे।।
बाधा से घबराना कैसा
थक कर रुक जाना कैसा
नया जोश भर नई उमंगें
राह चलो धीरे धीरे।।
दूर शिखर पर सूर्य दिख रहा
तेरा पथ धैर्य लिख रहा
संयम को हथियार बना अब
शिखर चढो धीरे धीरे।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
17जून, 2021
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