मैं से मैं का सफर।
आज चला मैं मुझे ढूँढने
कितना दूर मुझे जाना है
अंतहीन राहों पर कब तक
मुझको यूँ चलते जाना है
मैं से मैं का शुरू सफर ये
मैं से मैं को अब पाना है
आज चला मैं मुझे ढूँढने
कितना दूर मुझे जाना है
प्रतिपल मैं के साथ रहा मैं
पर मैं कब पहचान सका
जग की कितनी बातें समझा
पर मैं को कब जान सका
त्याग दिया सब किंतु परन्तु
बस मैं से मैं तक जाना है
आज चला मैं मुझे ढूँढने
कितना दूर मुझे जाना है।
मैं से मैं का छिड़ा द्वंद्व यह
आखिर कब तक यहाँ चलेगा
जान नहीं पाया जिस मैं को
मैं वो जाने कहाँ मिलेगा
उस मैं को पाने की खातिर
मुझको मैं तक जाना है
आज चला मैं मुझे ढूँढने
कितना दूर मुझे जाना है
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
12अप्रैल, 2021
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