राह दिखाने आ जाना।

राह दिखाने आ जाना।  

कितना सूना सफर यहाँ है
साथ निभाने आ जाओ
भूल नहीं जाऊँ मैं पथ को
राह दिखाने आ जाओ।

चला अकेला बहुत अभी तक
और नहीं चल पाऊँगा
जीवन की मुश्किल राहों पर
कैसे खुद को पाऊँगा।
मुझसे मेरा नाता कैसा
ये बतलाने आ जाओ।
भूल नहीं जाऊँ मैं पथ को
राह दिखाने आ जाओ।।

अंतस के भावों को समझो
कब तक मौन रहूँ बोलो
कब तक बंद रखूँगा दिल को
तुम ही अब इसको खोलो
व्यथा हमारे मन की समझो
इसको सुलझाने आ जाओ
भूल नहीं जाऊँ मैं पथ को
राह दिखाने आ जाओ।।

मेरे मन का पनघट सूना
भाव अधूरे सरगम सूना
सूनी है सरिता की धारा
तुम बिन ये मधुवन है सूना
सूने अंतस के आँगन में
दीप जलाने आ जाओ।
भूल नहीं जाऊँ मैं पथ को
राह दिखाने आ जाओ।।

©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        12अप्रैल,2021


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