मेरा तो इतिहास बना।
व्यथा लिखा जब जब पन्नों पर
इक नूतन अहसास लिखा।
मिली कहानी औरों को, पर
मेरा तो इतिहास बना।।
जीवन अपना मैंने खोया
पाप-पुण्य का बोझा ढोया
जीवन के आंगन में मैंने
पाया वैसा, जैसा बोया।
पाप पुण्य की गठरी लादे
मैंने बस अहसास लिखा।
मिली कहानी औरों को, पर
मेरा तो इतिहास बना।।
सबकी इच्छाओं की खातिर
अश्रु आचमन बहुत किया
आहुति देकर अपना जीवन
अमृत संग-संग गरल पिया।
तपकर जीवन की बेदी पर
मैंने इक विश्वास बुना।
मिली कहानी औरों को, पर
मेरा तो इतिहास बना।।
तोड़ चुका बंधन अब सारे
अहसानों का क्षोभ नहीं
ना ही कोई चाहत बाकी
और मुझे कोई लोभ नहीं।
जीवन के इस मौन सफर में
मैंने अपना मान लिखा।
मिली कहानी औरों को, पर
मेरा तो इतिहास बना।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
14अक्टूबर,2020
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