प्रकृति की सौगातें।

बाल कविता 
    
  प्रकृति की सौगातें

धन्य-धन्य है धरती माता
जिसने जीवन पाला है
कितनी ही आघातें झेली
दिया अमृत का प्याला है।

सूरज से प्रकाश मिला है
चंदा औ आकाश मिला है
तारों की रिमझिम रातें
शीतल सा अहसास मिला है।

वृक्ष मिले हैं, फूल मिले हैं
जीवन के सब मूल मिले हैं
आस मिली है, सांस मिली है
सबके थोड़े मूल मिले हैं।

कितनी सुंदर बरसातें हैं
ये प्रकृति की सौगातें हैं
संरक्षण इनका बहुत जरूरी
संकल्प हम दोहराते हैं।।

 ✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
         हैदराबाद
        17जुलाई,2020

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें

 प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...