श्याम दीवानी।
मेरा मन यूँ रम जाता है,
सुध बुध अपनी खो जाती हूँ
याद नहीं कुछ रह जाता है।
बस तेरे ही भावों में रहती
कुछ ना सुनती, कुछ ना कहती
तुझ में ऐसी डूबी हूँ मैं
बस तेरी ही बातें करती।
तेरा संग मुझको प्यारा है
अपना सबकुछ तुझ पे वारा है
तुझ पर सारा जीवन अर्पित
तू ही बस एक सहारा है।
तुमसे ही है सारा उपवन
खिला खिला ये सारा मधुबन
धरती की सारी हरियाली
महका दो मेरा भी जीवन।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
17जुलाई,2020
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