बन जाओ मेघ बरस जाओ।



बन जाओ मेघ बरस जाओ।


बन जाओ मेघ बरस जाओ
रिम झिम सा गीत सुना जाओ
प्यासी तपती इस धरती को
जीवन संगीत सुना जाओ।

आ जाओ फिर से आ जाओ
बूंदों से नहला जाओ।
बन जाओ मेघ बरस जाओ
रिम झिम सा गीत सुना जाओ।।

देखूं जब जब मेघ घनेरे
मन मेरा अकुलाता है
बरसे जब जब बिजुरी चमके
मन में अगन लगाता है।

तपती तरसी इस धरती को
बारिश से महका जाओ।
बन जाओ मेघ बरस जाओ
रिम झिम सा गीत सुना जाओ।।

ऐसे बरसो, झूम के बरसो
फिर से ना जियरा तरसे
पुलकित हो कण कण माटी का
झूमे नाचे गाये हरषे।

इतना बरसो आज गगन बन
सावन को महका जाओ।
बन जाओ मेघ बरस जाओ
रिम झिम सा गीत सुना जाओ।।

✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        20जुलाई,2020

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