दोहे

खेती बाड़ी के बिना, चले कभी ना काम।
सारा जग खुशहाल जब, खेती करे किसान।।

खेतों में जब हल चले, सीना धरती चीर।
नई कोंपलें फूटती , हरती जग की पीर।।

आंधी हो तूफान हो, या होए बरसात।
जीवन कटता खेत में, दिन हो या हो रात।।

नैनों में सपने लिए, तके सरे आकाश।
हरपल खटता खेत में, लेता ना अवकाश।।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें

 प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...