क्यूँ याद दिलाते हो।
जो बीत चुकी उन यादों में
जीवन क्यूँ उलझाते हो,
जिन बातों से दर्द मिला है
क्यूँ उनकी याद दिलाते हो।
पल कितने आये चले गए
कुछ स्वप्न दिखाकर छले गए,
उन सपनों की नैया की
क्यूँ पतवार चलाते हो।
जीवन में बहुतेरे आये
कुछ अपने कुछ बने पराए,
जाने वाले चले गए जब
व्यर्थ में अश्रु बहाते हो।
याद करो अब बात सुहानी
नई घटी या याद पुरानी,
कष्ट मिले हैं जिन बातों से
क्यूँ उनसे दिल दहलाते हो।
जीवन गीतों की माला है
सुंदर मोरों की आला है,
मुरझाई यादों से इसकी
मोती क्यूँ बिखराते हो।।
जिन बातों से दर्द मिला है,
क्यूँ उनकी याद दिलाते हो।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
22जुलाई,2020
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