कुछ गुनगुनाऊँ।
दिल आज कहता है
कुछ गुनगुनाऊँ
मिलन के सुहाने
तराने सुनाऊं
मेरे गीतों में सजने
का वादा करो
सपनों से सुंदर
मैं दुनिया बनाऊं।।
रूप तेरा सलोना,
चमन को सजाए
कैसे कोई दिल को
अपने बचाये
जरा प्यार से
जिसको तुम देख लो
मदहोश होने से
कैसे बचाये।।
चाहत यही तेरी
बाहों में आऊं
उलझी तुम्हारी
लटें सुलझाऊँ
लवों पे तेरे गीत
अपने सजाऊँ
तू गाये जिन्हें,
संग मैं गुनगुनाऊँ।।
बताओ तुम्हीं
तुमको कैसे मनाऊं
दिल में है जो,
तुमको कैसे दिखाऊं
इक जरा सी नज़र
जो इधर तुम करो
चाहत का अपने
समंदर दिखाऊँ।।
दिल आज कहता है
कुछ गुनगुनाऊँ
मिलन के सुहाने
तराने सुनाऊं।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
✍️13 मई , 2020
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