मौन हूँ, अनिभिज्ञ नहीं।
मैं मौन हूँ अनिभिज्ञ नहीं
साक्षात हूँ प्रतिबिंब नहीं
महसूस कर सकता हूँ
मैं दर्द की अनुभूतियां
अब तुम्हें कैसे बताऊँ
बहुज्ञ हूँ, अल्पज्ञ नहीं।
मैं मौन हूँ, अनिभिज्ञ नहीं।।
सब देख सकता हूँ मैं
महसूस कर सकता हूँ मैं
शुष्क वादों की धरा को
बींध तक सकता हूँ मैं।
मेरे सब्र की सीमा सुनिश्चित
मर्मज्ञ हूँ, अल्पज्ञ नहीं।
मैं मौन हूँ, अनिभिज्ञ नहीं।।
मैं त्रस्त गर्दभ व्यवहार से
दूषित अचार से, विचार से
अनैतिकता से, भृष्टाचार से
अनैतिक व्यापार के प्रसार से
वैमनस्य से, व्यभिचार से
सब विज्ञ मुझको, अविज्ञ नहीं।
मैं मौन हूँ, अनिभिज्ञ नहीं।।
जो आज तेरे साथ हूँ
सद्विचारों का परिणाम हूँ
इक वोट जो मानोगे तुम
गांडीव की टंकार हूँ।
है शाश्वत के तेरे साथ हूँ
पर द्रोह पर प्रतिज्ञ नहीं
मैं मौन हूँ, अनिभिज्ञ नहीं।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
17 मई, 2020
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