आजकल मैं सोचता हूँ।
आजकल मैं सोचता हूँ
खुद को पहले खोजता हूँ
है कई उलझन मगर
ठहराव के पल खोजता हूँ।।
राह दुर्गम हो, अगम हो
व्यंजनाएँ ना सुगम हो
अवरोध कितना भी बड़ा हो
मार्ग निश्चित खोजता हूँ।।
कर्म के सब भाव हैं ये
या नियति का कहीं प्रभाव है
इसको क्या कैसे मैं समझूं
क्या वक्त का ठहराव है।।
ठहराव जो हो सोचता हूँ
शब्दों के अर्थ खोजता हूँ
एक कदम चलने से पहले
आजकल खूब सोचता हूँ।।
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