राधेय या ज्येष्ठ कौन्तेय- खण्ड काव्य- भाग-2

राधेय या ज्येष्ठ कौन्तेय। 
गतांक से आगे--

बहता बहता वह बालक फिर
उस स्थान पर जा पहुंचा
जहां धृतराष्ट्र का सारथी अधीरथ
अश्व को जल पिला रहा था।।10।।

निस्संतान दंपत्ति था अधीरथ
उसने बालक को गले लगा लिया
पालन पोषण किया दोनों ने
राधेय उसको नाम दिया।।11।।

सूत वंश में पला बढा वो
पग पग पर छला गया वो
तन से जितना शूरवीर था
मन से उतना ही भावुक था वो।।12।।

सूतवंशी होने के कारण गुरु द्रोण ने 
जब शिक्षा देने से इनकार किया
परशुराम से पहचान छिपा कर
शिक्षा उनसे प्राप्त किया।।13।।

था स्वभाव से दानी लेकिन
पौरुष का अभिमानी था वो
हठ उसके स्वभाव में था, पर 
लक्ष्य का सदा आकांक्षी था वो।।14।।

पर तेज कहां किसी पौरुष का
कब तक यहां कहाँ छिपता है
शूरवीर पौरुष हैं जो भी
वो तिरस्कार कब कहाँ सहता है।।15।।

नहीं शिक्षा पर अधिकार किसी का
ये तो है अभ्यास पे निर्भर
युद्ध कला व ज्ञान योग का
कर्मठता से स्वविकास किया।।16।।

अपनी कर्मठता से उसने जग को
आगे बढ़कर ये दृष्टान्त दिया
शिक्षा मात्र कुलीन का अधिकार नही
संधान करे जो भी,उसका है अधिकार सही।।17।।

              क्रमशः..........




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