राधेय या ज्येष्ठ कौन्तेय- खण्ड काव्य- भाग-3

राधेय या ज्येष्ठ कौन्तेय- खण्ड काव्य-भाग-3
गतांक से आगे......

शस्त्र-शास्त्र की दीक्षा लेकर
राजकुंवर सब महल को आये
कौशल दिखलाने की खातिर
नियत दिन रंगभूमि सब आये।।18।।

रंगभूमि में योद्धा सारे
इक इक कर पौरुष दिखलाये
अर्जुन ने जब प्रत्यंचा साधा
राधेय ने तब उसको साधा।।19।।

इतना गर्व न कर तू खुद पर
इस क्षण कर तू मेरा सामना
जो इतना अभिमान है खुद पर
तो रंगभूमि से नहीं भागना।।20।।

कहकर लक्ष्यों का सारे 
उसने भी संधान किया
इक इक कर सारी विद्या का
फिर उसने परिणाम दिया।।21।।

देख के रणकौशल उसका
जनता सारी दंग रह गयी
गूंजी जब टंकार धनुष की
आंखे सब स्तब्ध रह गयी।।22।।

सुनकर ललकार कर्ण की
शूरवीर सब हतप्रभ हुए
डगमग हुआ तब सिंहासन
राजवंश निःशब्द हुए।।23।।

कृपाचार्य फिर आगे बढ़कर
उससे उसका परिचय पूछा
अर्जुन तो है राजवंश का
उसके कुल का वैशिष्ट्य पूछा।।24।।

रंगभूमि है उन योद्धा की
राजवंश से संबंध जो रखते
जो तुम ठहरे राजवंश के
भागीदार यहां तब हो सकते।।25।।

सूतपुत्र हूँ मैं लेकिन
इसमें मेरा दोष नहीं
शिक्षा तो स्वाभाविक है
इसका कुल से मेल नहीं।।26।।

जो अर्जुन है वीर यहां तो
पास क्यूं नहीं फिर आता
जो भुजबल पर विश्वास उसे है
विश्वास नहीं क्यूं  दिखलाता।।27।।

क्रमशः............
©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद


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