साथ नहीं छोड़ेंगे
संग संग चलना है हमको
हम साथ नही छोड़ेंगे
इक दूजे की छांव बने हैं
अब छांह नही छोड़ेंगे।
आंधी आये तूफां आये
कितनी ही बाधाएं आएं
पुनर्मिलन ये हो के रहेगा
कितनी ही विपदाएं आएं।
जन्मों जन्मों बाद मिले हैं
सांस-सांस में फूल खिले हैं
उर से उर का संगम है ये
एहसास के दीप जले हैं ।
तुमसे है अब श्वास का रिश्ता
जीवन भर विश्वास का रिश्ता
बंधन ये अनमोल है अपना
उम्मीदों के विन्यास का रिश्ता।
आव कहीं हो या दुराव
हम विश्वास नही तोड़ेंगे
संग संग चलना है हमको
अब ये साथ नहीं छोड़ेंगे ।।
✍️©️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
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