मोहे रंग दो कान्हा
अपने ही रंग में
रंग जाऊं तुझमें आज
सुध बुध अपनी बिसराए जाऊं
रम जाऊं तुझमें आज।।
जो रंग रंगी राधा रानी
जिसमें झूमी मीराबाई
जो रंग में कबीरा नाचा
नाचे खुसरो और रसखान।
मोहे भी रंग दो ऐसे सांवरिया
डूब जाऊं मैं जिसमें आज।।
तुम बिन है अब कौन सहारा
तुम ही करो उद्धार
कौन है आपन कौन पराया
तुम ही सबका आधार।
अपनी भक्ति का वरदान मोहे दो
बन जाऊं चैतन्य जैसा आज।।
मोहे रंग में ऐसे रंगों कान्हा
रंग जाऊं तुझमें आज
सुध बुध अपनी बिसराय जाऊं सब
रम जाऊं तुझमें आज।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
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