दर्द से परे पुनर्वास

दर्द से परे पुनर्वास।                                      

मैंने दर्द के दर्द से इतना कहा
तेरे दर्द से अब दर्द नही होता

तू दर्द तभी देगा मुझे जब
तुझे दर्द देने की इजाज़त दूंगा।

वादा है, कोशिश करे कितना भी वो
मगर अब उसे दर्द की इजाजत नही दूंगा।

वो जब भी आएगा, दरवाजा खटखटाएगा
खाली हाथ वहां से लौट जायेगा।

वो कितना भी कठोर क्यों न हो
मैं दर्द से दर्द देने का अधिकार छीनता हूँ।

कर्मपथ पर कितनी भी बाधाएं आये
पार कर उन्हें अपना मार्ग खुद चुनता हूँ।

अब किसी भी दर्द का भय नही मुझको
अब दर्द से परे, पुनर्वास खुद लिखता हूँ।।

अजय कुमार पाण्डेय

हैदराबाद

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