राम हिंदुस्तान हैं
राम राम राम राम, मन में राम, तन में राम
चर में राम अचर में राम, जल में राम नभ में राम
नहीं कोई बची जगह , जहां न विद्यमान राम।।
राम ही आन हैं, राम ही शान हैं
राम ही जान हैं, राम ही जहान हैं
राम से है जग यहां, जग ही मेरे राम हैं।।
राम ही हैं आत्मा, राम ही परमात्मा
राम ही प्राण हैं, राम ही अभिमान हैं
राम ही पहचान हैं,राम पूजा हैं, सम्मान हैं।।
राम ही सत्य हैं, राम ही लक्ष्य हैं
राम ही दवा हैं, राम ही दुआ हैं
राम सिर्फ दया हैं, जिन्हें क्रोध ने छुआ नहीं।।
राम मर्यादा हैं, राम विश्वास हैं
राम ही चाह हैं, राम ही राह हैं
राम ही अनुबंध हैं, राम ही सौगन्ध हैं।।
राम ही प्रदक्षिणा हैं, राम शबरी के जूठे बेर हैं
राम माँ की ममता हैं, राम पिता की छांव हैं
राम ही आवाज़ हैं, राम ही आगाज़ हैं।।
राम हैं मानवता में, राम हैं सामाजिकता में
राम हैं अस्मिता में, राम हैं सहिष्णुता में
राम शीलता के प्रतिमान हैं, राम हिंदुस्तान हैं।।
हाँ राम हिंदुस्तान हैं।।
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