अधूरे गीत
शब्द बिन आपके सब अधूरे रहे।
जोड़ कर लम्हों की एक चादर बुनी,
कोर में जिसके सपने सजाए सदा।
कोरों में टांक कर चाहतों की लड़ी,
साँसों को आस से हम मिलाये सदा।
टांकते कैसे हम कोर में प्यार को,
आपकी चाह के बिन अधूरे रहे।
उम्र ढलती रही अपनी रफ्तार से,
एक प्रतीक्षा हृदय में दबी रह गयी।
एक कसक से रही जीत में हार की,
खुल ना पाई हृदय में दबी रह गयी।
कैसे लिखते यहाँ गीत मनुहार के,
आपके साथ के बिन अधूरे रहे।
पास गीतों की कुछ पंक्तियाँ हैं बचीं,
तुम जो छू लो अधर से सहारा मिले।
छंद फिर खिल पड़ें गीत में चाहों के,
फिर जो वो ही पुराना इशारा मिले।
कैसे गाता हृदय गीत इकरार के,
आपके स्पर्श बिन वो अधूरे रहे।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
22 मई, 2025
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