माँ

माँ

खुशियों की जब कभी बात आती है माँ
याद में तेरी तस्वीर आती है माँ

गीत लिखता हूँ मैं जब कभी स्नेह के
छंद में पंक्ति में गुनगुनाती है माँ

छाती हैं जब कभी नैन में बदलियाँ
आज भी दूर से चुप कराती है माँ

धूप में थक के जब बैठ जाता हूँ मैं
छाँव आँचल का अब भी ओढाती है माँ

आँख होती है जब नम किसी बात पे
दिलासा हृदय को दिलाती है माँ

मिल रही हो भले सारी खुशियाँ यहाँ
अब भी गोदी तेरी याद आती है माँ

कैसे कह दूँ कि तू अब नहीं साथ है
मेरी साँसों में तू मुस्कुराती है माँ

✍️©अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        02 अप्रैल, 2025






कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें

 प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...