माहिया

माहिया

ये दिल की बातें हैं
दिल ही तो जाने
बीती जो रातें हैं

रात में नहीं आना
लाखों पहरे हैं
दिल को ये समझाना

दिल को क्या समझाऊँ
दिल की बातों को
कैसे मैं बतलाऊँ

ये बात नहीं अच्छी
झूठ नहीं कहता
ये प्रीत नहीं कच्ची

दिल तो बेचारा है
हाल वहाँ पर जो
वो हाल हमारा है

वो दिन फिर आयेंगे
दूर नहीं होंगे
हम जब मिल जायेंगे

✍️अजय कुमार पाण्डेय

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

ऐसे भाव सजाना साथी

ऐसे भाव सजाना साथी गीतों की प्रिय मधुशाला से जब प्रेम पियाली छलकाना, दो बूँद अधर को छू जाये ऐसे भाव सजाना साथी। हमने भी कुछ गीत लिखे पर शायद...