ऐसे ही बस हँसते रहना

ऐसे ही बस हँसते रहना

कसमें वादे प्यार वफ़ा सब,
आहें आँसू मिलन जुदाई।
लांछन मेरे आभूषण हैं,
सह लेंगे सारी रुसवाई।
तुमसे कोई द्रोह नहीं है,
बस इतना है तुमसे कहना।
ऐसे ही बस हँसते रहना।

कहो अकेले अब भी छुपकर,
गीत हमारे क्या सुनती हो।
दूर क्षितिज संध्या मुस्काये,
स्वप्न नये क्या फिर बुनती हो।
लहरों के संग-संग अब भी,
दूर किनारे, क्या जाती हो।
बारिश के पानी में अब भी,
बालों को क्या लहराती हो।
बारिश जब-जब मन बहकाये,
बूँदों के संग-संग बहना।
ऐसे ही बस हँसते रहना।

मेरे हिस्से पुण्य अगर हो,
तेरे आँचल में सब भर दूँ।
रोक रहा यदि बंधन कोई,
मुक्त सभी बंधन मैं कर दूँ।
बातें हों या ताने जग के,
हँसकर सारे मैं सह लूँगा।
छूट गये जो सभी सहारे,
बिना सहारे भी रह लूँगा।
मुझको अब अफसोस नहीं है,
अफसोस नहीं तुम भी करना।
ऐसे ही बस हँसते रहना।

धन्य-धन्य तुम प्रेम ग्रंथ के,
सारी शर्तों को है त्यागा,
कितने युद्ध लड़ूँगा खुद से,
हारा हूँ पर नहीं अभागा।
भूल पुरानी यादें सारी,
तुम जीवन में बढ़ते जाना।
मैं तो हूँ इक कवि अनजाना,
मुझको है किसने पहचाना।
मेरे गीतों को जब सुनना,
पलकों को तुम वश में रखना।
ऐसे ही बस हँसते रहना।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        21 दिसंबर, 2024

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