लोभ मोह मद क्रोध या, सत्य धर्म आचार।
संगत जैसी राखिये, वैसा हो व्यवहार।।
मिथ्या आडंबर सभी, मिथ्या सारा खेल।
मन से मन नाहीं मिले, पूरा होत न मेल।।
✍️अजय कुमार पाण्डेय
प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...
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