लोभ मोह मद क्रोध या, सत्य धर्म आचार।
संगत जैसी राखिये, वैसा हो व्यवहार।।
मिथ्या आडंबर सभी, मिथ्या सारा खेल।
मन से मन नाहीं मिले, पूरा होत न मेल।।
✍️अजय कुमार पाण्डेय
राम-नाम सत्य जगत में राम-नाम बस सत्य जगत में और झूठे सब बेपार, ज्ञान ध्यान तप त्याग तपस्या यहि सब है भक्ति का सार। तन मन धन सब अर्पित प्रभु ...
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