चौपाई

चौपाई

वेद ग्रन्थ जे प्रतिदिन सुनहीँ। चित्त शांत मन सुंदर बनहीं।।
पढ़हिं सुनहि अनुमोदन करहीं। पुण्य भाव मन धारण करहीं।।

राम कथा जीवन आधारा। छुटहि क्लेश मन हो विस्तारा।।
प्रभु चरणों में जो मन हारा। भवसागर से उतरहिं पारा।।

भक्ति भाव से प्रभु को मोहहिं, रंग रूप मन सुंदर होयहिं।
राम नाम से नाता जोड़हिं, तन मन जीवन उपवन होयहिं।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        17 नवंबर, 2024

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