अधूरी रही
उम्र भर इक कहानी अधूरी रही
बात जो थी सुनानी अधूरी रही
ढूँढता ही रहा साथ वो उम्र भर
पास थी जो निशानी अधूरी रही
चाह दिल में दबी के दबी रह गयी
प्रीत दिल की पुरानी अधूरी रही
स्वप्न पलकों से बोझल हुए इस तरह
रात की रात रानी अधूरी रही
रोटी की दौड़ में उम्र यूँ खो गयी
जो भी आई जवानी अधूरी रही
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
08 अप्रैल, 2024
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