प्राण प्रतिष्ठा
प्राण प्रतिष्ठा की घड़ी, सत्य सनातन जीत।
लिखने को तैयार है, जग शुभ नूतन रीत।।
सारे जग को प्रेम सिखाया। सत्य सनातन है समझाया।।
जिनकी खातिर तरसे नयना। आज पधारे मेरे अँगना।।
दूर हुआ मन का अँधियारा। जब देखूँ प्रभु रूप तिहारा।।
प्राण प्रतिष्ठा प्रभु की होई। जाग उठी जो किस्मत सोई।।
आज अवध में बजे बधाई। सदियों बाद घड़ी शुभ आई।।
आज राष्ट्र ने नेह लुटाया। प्रभु का फिर वनवास मिटाया।।
गर्भ गृह में राम अरु सीता। आज हुआ ब्रह्माण्ड पुनीता।।
कहे देव यह शुभ दिन आया। धन्य-धन्य यह दिवस दिखाया।।
हरषित-पुलकित नर अरु नारी। पूरी हुई प्रतीक्षा सारी।।
अवध पुरी है राष्ट्र का, सबसे सुंदर धाम।
पावन भारत की धरा, कण-कण बसते राम।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय "देववंशी"
हैदराबाद
29 दिसंबर, 2023
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