पल संयोग के।
कट चुके हैं जिन्दगी के, पल जो थे वियोग के
आ रहे हैं पल मिलन के, देख लो संयोग से।
मौन थी राहें सभी ये, मौन थे सपने सभी
दूर होते जा रहे थे, पास थे अपने कभी
तुम चले हम चले, यहाँ जाने किस सहयोग से
आ रहे हैं पल मिलन के, देख लो संयोग से।
कुछ तुम्हारे मन में, और कुछ मन में हमारे
राहतें कुछ पल रहीं, जानूँ न किसके सहारे
मन में मन की चाह पनपी मन के मनयोग से
आ रहे हैं पल मिलन के, देख लो संयोग से।
दूर था जाना मगर, दूर जाकर रह न पाये
अलिखित पँक्तियों को गीतों में फिर गुनगुनाये
गीत सकुचित जी उठे फिर प्रीत के अवियोग से
आ रहे हैं पल मिलन के देख लो संयोग से।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
27जून, 2023
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