हालात के दर्द।
जिंदगी हम तो तेरी हर घात से गुजरे हैं
कुछ ख्वाब ऐसे चुभे हैं मेरी इन आँखों में
जख्म आँखों में लिए बरसात से गुजरे हैं
अब दर्द का क्या कहें क्या ठिकाना था कहाँ था
चुभती आहों औ दर्द के जज्बात से गुजरे हैं
कुछ खता थी या नहीं अब ये मालूम किसे है
बेबसी हम तो तेरी हर बात से गुजरे हैं
तब जाना जिंदगी भी एक खेल है यहाँ पर
कदम-कदम पर जब शह और मात से गुजरे हैं
क्या बताएं देव किस-किस ने सताया है हमें
बात जितनी भी निकली हर बात से गुजरे हैं
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
23अप्रैल, 2023
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