कौन है सुनता यहाँ।

कौन है सुनता यहाँ।  

शोर गलियों में बहुत दिखता यहाँ
कौन किसको अब है सुनता यहाँ।।

यूँ तो घनी आबादियों में रहते सभी
बमुश्किल से इंसान अब दिखता यहाँ।।

है बहुत मुश्किल कहना बात दिल की
कौन किसकी बात अब सहता यहाँ।।

था वो कोई दौर सहते थे सभी हर बात को
अब पिता की बात भी कौन है सहता यहाँ।।

यूँ मिलेंगे घाव देने को यहाँ हर मोड़ पर
पास मलहम कौन अब रखता यहाँ।।

टूटते हैं घर अब हर गली हर मोड़ पे
हुनर जोड़ने का कौन अब रखता यहाँ।।

राजनीति बन गयी है खेल अब तो
अब मान इसका कौन है रखता यहाँ।।

झूठ ने वादों से जब से की सगाई
सत्य का व्यवहार कब सहता यहाँ।।

है मिलावट का जमाना "देव" अब तो
हो शुद्ध जब आहार कब पचता यहाँ।।

जब नग्नता हावी हुई परिधान पर
फिर कौन पर्दा आँख में रखता यहाँ।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        13दिसंबर, 2022

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