सीख जाते हैं।
दर्द दिल का वो छिपाना सीख जाते हैं।।
भले ही दर्द कितना भी मिला हो इन हवाओं में
चले जो साथ में इनके निभाना सीख जाते हैं।।
जलाया हाथ जिसने भी अँधेरों में चिरागों से
हर तूफान में दीपक जलाना सीख जाते हैं।।
नहीं मिलता जिन्हें कोई सहारा इस जमाने में
जमाने से वो खुद रिश्ता निभाना सीख जाते हैं।।
नहीं तालीम मिलती है छिपाने की इन जख्मों को
समय के संग-संग चलकर खुद छिपाना सीख जाते हैं।।
झुकेगा क्या किसी इंसान के सजदे में वो माथा
गली हर मोड़ पर जो सर झुकाना सीख जाते हैं।।
थाना है कलम जिसने भी लिखने मन के भावों को
सभी के मन को अपना बनाना सीख जाते हैं।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
12दिसंबर 2022
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