मुक्तक- अधरों पर उपकार बहुत है।

अधरों पर उपकार बहुत है।

जीवन के इस महासमर में पीड़ा का आभार बहुत है
जग से इतना कुछ पाया है अब तो ये अधिकार बहुत है
निज पीड़ा पर गीतों ने जो मलहम बनकर चैन दिया है
गीतों के उस महा पंक्ति का अधरों पर उपकार बहुत है।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        13नवंबर, 2022 

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