भुलाना आ गया होता।
अगर खामोशियों से दिल लगाना आ गया होता
बेवजहा तुमको भी मुस्कुराना आ गया होता
जो टकराते नहीं जज्बात यहाँ बहती हवाओं से
तो तुम्हें मँझदार में नौका चलाना आ गया होता
कि आँचल में किसी छुपकर सुबक लेते जरा हम भी
गुनाहों पर सभी परदा गिरना आ गया होता
जरा सी जी-हुजूर सीख लेते हम दिखावे की
उसूलों से यहाँ आँखें चुराना आ गया होता
लगे दिल पर सभी जख्मों को "देव" मलहम बना लेते
हुआ जो दर्द दिल को वो भुलाना आ गया होता
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
23नवंबर, 2022
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