स्वर ने सीवन खोले।।

स्वर ने सीवन खोले।  

सुधियों ने पैबंद हटाये मन ने सीलन खोले
अधरों पर मृदु शब्द टँके तब स्वर ने सीवन खोले।।

वादों में अनुवादों में कुछ भावों की अमराई
जब-जब साँसें मुखर हुईं पावस ने ली अँगड़ाई
यादों के अनुबंध खुले पलकों ने मृदु जल घोले
अधरों पर मृदु शब्द टँके तब स्वर ने सीवन खोले।।

मधुमय करता जीवन सारा मीठी-मीठी बातें
उलझन मन की खुल जाती हैं खुल जाती हैं गाँठें
मिल जाते जब भाव हृदय के मन का भँवरा डोले
अधरों पर मृदु शब्द टँके तब स्वर ने सीवन खोले।।

धूप-छाँव जीवन के पहलू पग-पग राह दिखाते
ऊँच-नीच जीवन के प्रतिपल हमको ये समझाते
अंतर्मन में निहित अँधेरे ज्ञान ज्योति जब खोले
अधरों पर मृदु शब्द टँके तब स्वर ने सीवन खोले।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        03सितंबर, 2022

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