भारतीय रेल- दोहे।
अपने जन से मेल हो, सबका यही विचार।।
रात-दिवस चलती रहे, कभी न करे विश्राम
मंजिल-मंजिल नापती, पहुँचाती सब धाम।।
रात-रात भर जाग कर, सारे करते काम
यात्रा जब पूरी हुई, तभी मिले आराम।।
नियमों का सम्मान है, जनसेवा है धरम
समय, सुरक्षा मूल तत्व, अपना तो है करम।।
इंजन की सीटी सुने, सबका मन हरषाय
जंगल, नदिया नापती, सबको घर पहुँचाय।।
राष्ट्र की जीवन रेखा, सब कोई अपनाय
मुस्कानों के साथ ये, सबको गले लगाय।।
रेल संपत्ति राष्ट्र की, सेवा ही सम्मान
आओ सब मिल प्रण करें, सदा रखेंगे मान।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
06मई, 2022
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