🌹🌹🌹🌹गीत 🌹🌹🌹🌹
संवेदनाएँ।
छोड़ कर के जा रहे हो मुझको यहाँ इस हाल में
बोलो फिर मैं क्या करूँगा ले के ये संवेदनाएँ।।
दर्द के हर इक पलों में बस तुम्हारा साथ पाया
भीड़ हो या फिर अकेले इक तुम्हारा हाथ आया
छोड़ पर मुझको गए तुम काल के इस गाल में
बोलो फिर मैं क्या करूँगा ले के ये संवेदनाएँ।।
श्वास में अब भी महकता प्रीत का रस जो पिया था
आज भी अधरों पै ठहरा गीत जो तुमने दिया था
है बहुत मुश्किल कि गाऊँ गीत मैं इस हाल में
बोलो फिर मैं क्या करूँगा ले के ये संवेदनाएँ।।
गीत से अपने यहाँ ना कर सका कोई इशारा
दे सका ना मैं तुम्हें अहसास का कोई सहारा
वेदना के इन पलों ने कर दिया बेहाल मैं
बोलो फिर मैं क्या करूँगा ले के ये संवेदनाएँ।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
05मार्च, 2022
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