पीर पुरानी।
आयी याद कहानी
धमनी में फिर हुई प्रवाहित
खोयी पीर पुरानी।।
जन्म-जन्म की बातें लेकर
कोर नैन के भींगे
उमड़-उमड़ भावों का सागर
रह-रह कर के रीते।।
नयन कोर तक आ आकर के
अश्रु की रुकी रवानी
धमनी में फिर हुई प्रवाहित
खोयी पीर पुरानी।।
मैंने जीवन भर गीतों में
कितने भाव सजाया
किंतु पलट कर पृष्ठ जो देखा
क्या खोया क्या पाया।।
मिलन पलों में लिखे गीत जो
बिछड़ी याद सुहानी
धमनी में फिर हुई प्रवाहित
खोयी पीर पुरानी।।
शब्दकोश में सिमटा जीवन
पर शब्दों में दूरी
कुछ समझा कुछ समझ न पाया
कैसी है मजबूरी।।
भावाकुल मन बहक-बहक कर
गाये प्रीत पुरानी
धमनी में फिर हुई प्रवाहित
खोयी पीर पुरानी।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
29मार्च, 2022
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