ज्ञान का दीपक।

ज्ञान का दीपक।  

चलो फिर आज गीतों में समर्पण गान हम भर लें
चुन कर शब्द जीवन से मधुर गुणगान हम कर लें
जला डालें सभी अवगुण रोकें राह खुशियों की
लिखें फिर गीत जीवन के नव आह्वान हम कर लें।।

सभी दुरवृत्तियों को त्याग कर मन शुद्ध कर डालें
मिटा डालें सभी दुर्गुण अरु मन को बुद्ध कर डालें
भटक जाये न ये जीवन कहीं अनगिन व्यथाओं में
जला कर ज्ञान का दीपक अँधेरे रुद्ध कर डालें।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय
        हैदराबाद
        28जनवरी, 2022

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें

 प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...