काव्य में नव भाव रच तूलिका ने सम्मान पाया।
मौन आँसू जो गिरे थे भाव को इक रूप देकर
कुछ पंक्तियों में सिमटकर दर्द ने नव गान पाया
काव्य में नव भाव रच तूलिका ने सम्मान पाया।।
दर्द भावों में उभरकर नव गीत बनकर छा गये
गीत अधरों से उतरकर नव काव्य बनकर छा गये
पंक्ति का आकार पाकर सब भावनायें खिल गयीं
जो रचे उसे रोज हिय ने दर्द बनकर छा गये।।
शब्द का श्रृंगार पाकर दर्द को सबका बनाया
काव्य में नव भाव रच तूलिका ने सम्मान पाया।।
जो थे घुटन मन में कहीं वो भाव पन्नों पर लिखे
अरु शब्द के हर उस चुभन के घाव पन्नों पर लिखे
लिख दिये प्रतिरोज जाने पीर जीवन के पलों की
बाकी जो भी रह गया वो दर्द पलकों पर दिखे।।
भाव को विस्तार देकर गीत को सबका बनाया
काव्य में नव भाव रच तूलिका ने सम्मान पाया।।
गीत में जीवन सुरों के वो राग सारे लिख दिये
नेह के सुंदर पलों के पिय राग सारे लिख दिये
लिख दिये नव गीत कितने मन लुभाती कामना के
राग को सम्मान देकर नव प्रीत का पथ रच दिये।।
साज का नव सुर सजाकर गीत ने सोपान पाया
काव्य में नव भाव रच तूलिका ने सम्मान पाया।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
05दिसंबर, 2021
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