मुलाकात लिखना।
निगाहों निगाहों की सब बात लिखना
निगाहों की पहली मुलाकात लिखना।।
कहीं बात दिल की दबी रह गयी जो
फिर आज सारे वो जज्बात लिखना।।
रह रह के तेरा मचलना सँभलना
पलकों की अपनी करामात लिखना।।
बिन कहे कितनी बातें जो थी कही
साँसों से साँस की सौगात लिखना।।
कहीं बीत जाये घड़ी "देव" फिर ना
बाहों में भरकर नयी रात लिखना।।
©✍️अजय कुमार पाण्डेय "देववंशी"
हैदराबाद
27दिसंबर, 2021
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