वो गीत पुराना बचपन का।

वो गीत पुराना बचपन का।  

ये मेरे मन आज सुना दो
वो गीत पुराना बचपन का।।

मन के सूने गलियारे में
आज पुरानी दस्तक आयी
कहीं छिपी थी जो कोने में
याद दबी जो कलतक आयी
यादों के उस पाँखी को फिर
फिर से वो आकाश खुला दो
मन का पंछी खोज रहा है
वो मीत पुराना बचपन का
ये मेरे मन आज सुना दो
वो गीत पुराना बचपन का।।

पाकर जिसको मन खिल जाए
खिल जाये राहों में कलियाँ
अँधियारों से दूर निकलकर
रोशन हों फिर मन की गलियाँ
निज मन मेरा सूनेपन में
आज मचलकर झूम उठे फिर
लेकर मुझको आज बुलाये
वो नाम पुराना बचपन का
ये मेरे मन आज सुना दो
वो गीत पुराना बचपन का।।

दूर गगन में गीत पुराना
फिर कोई आज सुनाता है
जाने क्यूँ लगता है ऐसा
फिर कोई मुझे बुलाता है
मन करता है मैं उड़ जाऊँ
फिरूँ गगन में दूर निकलकर
और सुनाऊँ सारे जग को
वो प्रीत पुराना बचपन का
ये मेरे मन आज सुना दो
वो गीत पुराना बचपन का।।

©✍️अजय कुमार पाण्डेय 
        हैदराबाद
        31दिसंबर, 2021




कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

राम-नाम सत्य जगत में

राम-नाम सत्य जगत में राम-नाम बस सत्य जगत में और झूठे सब बेपार, ज्ञान ध्यान तप त्याग तपस्या बस ये है भक्ति का सार। तन मन धन सब अर्पित प्रभु क...