हिय हृदय से मिल गया।
प्रेम का अहसास पाकर हिय हृदय से मिल गया।।
प्राची के राजमार्ग पर किरणों की रंगोली
सज धज जीवन की ऐसी ज्यूँ कहार की डोली
मिल रहे धरती गगन यूँ प्राण का संचार ले
गूँजती हिय में मधुर शब्दों की मीठी बोली।।
शब्द का मृदु साथ पाकर गीत भी अब खिल गया
प्रेम का अहसास पाकर हिय हृदय से मिल गया।।
वीथि पर ये सितारे कह रहे कितनी कहानी
कर रहे इस रात को भोर से ज्यादा सुहानी
घिर रही ज्योत्सनाओं की यहाँ मृदुल फुलवारी
गा रही नव गीत ये जिंदगी होकर दीवानी।।
नव गीत का संस्कार पा साज भी अब खिल गया
प्रेम का अहसास पाकर हिय हृदय से मिल गया।।
चलो कुछ ऐसा रचें जो गीत को आकार दे
शब्द को आश्रय मिले भाव को संस्कार दे
भोर सी दस्तक मिले अरु पंथ सारे पुण्य हों
कामनाओं को हृदय में पुण्यता विस्तार दे।।
पुण्य का आधार पाकर भाव भी अब खिल गया
प्रेम का अहसास पाकर हिय हृदय से मिल गया।।
©️✍️अजय कुमार पाण्डेय
हैदराबाद
06नवंबर, 2021
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