मुक्तक।
मेरे मन मंदिर में तुमने लाखों दीप जलाए
प्रीत जगे अंग अंग में यूँ सजे बाहों का हार
ज्यूँ संझा के आँचल में शशि सुंदर रूप दिखाए।।
प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें एक दूजे को हम इतना अधिकार दें, के प्यार में पीर लें पीर को प्यार दें। एक कसक सी न रह जाये दिल में कहीं, ...
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